Yamunotri is believed to have been the birthplace of the holy Yamuna River, according to Hindu mythology. It is believed that Lord Krishna granted Yamuna, the daughter of the sun god Surya, the ability to flow like a river on Earth. Legend has it that Yamuna is revered as a goddess who can purify sins and bestow blessings on her devotees and is thought to be the sister of Yama, the god of death.
Yamunotri has to be reached by a 6 km trek which starts from Jankichatti. The 2.5 hours trek can be done on foot, mule, palanquin or pithoo (carrier). The yatra to Yamunotri is usually completed in one day.
Yamunotri temple remains open for 6 months each year. On Akshya Tritiya, the idol of Ma Yamuna is shifted to the Yamunotri Temple from Khushimath. On Bhai Dooj, the idol is returned to Khushimath for the next 6 months. The opening of Yamunotri Temple marks the beginning of Char Dham yatra each year. The temple remains open from 6 AM - 8 PM. Aarti Timing is 6:30 AM and 7:30 PM.
The other attractions at Yamunotri are the Tapta Kunda (where the pilgrims take a bath before visiting the temple), Draupadi Kunda, Surya Kunda, and Divya Shila. According to Hindu mythology, the devotees who do this pilgrimage with utmost devotion and purity are relieved from the cycle of life and death.
Best time to visit Yamunotri
May-June and September-November are the best months to visit Yamunotri. Yamunotri is cold all across the calendar, while winters making most activities difficult. Visiting the area during festivals Basant Panchami, Phool Devi etc. will let you witness a more colourful and joyful side of Yamunotri.
Who should visit Yamunotri?
Yamunotri is one of the sites for the Char Dham Yatra and a popular pilgrimage centre. It is an ideal place for rock climbing and trekking. A perfect destination for family, kids, couples and solo trip.
What is famous about Yamunotri?
A pilgrimage hotspot. Peaceful and beautiful.
What are the places near Yamunotri?
The top places near to Yamunotri are Mussoorie which is 70 km from Yamunotri, Shimla which is located 123 km from Yamunotri, Auli which is located 118 km from Yamunotri, Kinnaur which is located 72 km from Yamunotri, Rishikesh which is located 102 km from Yamunotri
Fast Facts
Char Dham Yatra is open for a brief period of 6 months every year. Each year devotees in huge numbers visit the shrines located in Himalayas due to which the peak season tend to get crowded; therefore making timely preparations is an essentiality while planning to visit during the Best Time to Travel Char Dham Yatra.
So when to visit ?
May – June Best Time
All the Char Dham temples open on Akshay Tritiya or just after that date. The day time temperatures are moderate, but evenings and nights are cold. On the other hand there will be large crowds and high rates will be charged everywhere. There will be long queues for darshan. Rooms and transport will be hard to find unless pre-booked. So make sure that you booked hotels and transport in advance.
July – August and up to mid-September – Avoidable
This is the monsoon period with light to heavy rains in July and heavier rainfall in August. This period is to be avoided as there are chances of landslides resulting in road blockages and delays. Very heavy rain can cause even more severe problems.
Mid-September – October – November – Good time
This is also not a bad time to go as the initial rush of pilgrims will have lessened. Charges will not be as high as during May and June. Transport and accommodation will be easier to find. Overall it will be comfortable traveling. Darshan at temples will be easier, with shorter queues.
पनचकà¥à¤•à¥€ (कोलà¥à¤¡ पà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥à¤¡ और सà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड)
लगà¤à¤— 300 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ पनचकà¥à¤•à¥€ (कोलà¥à¤¡ पà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥à¤¡ और सà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड) वॉटर मिल का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पहाड़ पर à¤à¤• à¤à¤°à¤¨à¥‡ से बहने वाले पानी से ऊरà¥à¤œà¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के लिठकिया गया था।
यह गेहूं पीसने की लंबे समय से लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ तकनीक में से à¤à¤• है। इस तकनीक से आटा पीसना अनà¥à¤¯ मशीन मिल की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अधिक लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• à¤à¤µà¤‚ अचà¥à¤›à¤¾ माना जाता है।
घंटाकरण देवता
देव à¤à¥‚मि के कण कण में देवों का वास है यहां कदम कदम पर आपको कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ मंदिर और धरोहरें नज़र आà¤à¤‚गी जिनका इतिहास बेहद ही रोचक है। इनमें से à¤à¤• है घंटाकरण यानि घड़ियाल देवता। घंटाकरण देवता को ही घड़ियाल देवता के नाम से जाना जाता है। बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के निकट माणा में इनका मà¥à¤–à¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ है। बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से पहले देवदरà¥à¤·à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€ घंटाकरण देवता की सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ माना जाता है। घड़ियाल देवता को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का रकà¥à¤·à¤• à¤à¥€ कहा जाता है। जिस तरह से à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जी को केदारनाथ जी का रकà¥à¤·à¤• कहा जाता है उसी तरह घड़ियाल देवता यानि की घंटाकरण जी को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की रकà¥à¤·à¤¾ करते हैं।
घंटाकरण बचपन से à¤à¤• राकà¥à¤·à¤¸ था और साथ ही à¤à¤—वान शिव का अननà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€à¥¤ इतना अननà¥à¤¯ की उसे किसी और के मà¥à¤– से शिव का नाम सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ à¤à¥€ पसंद नहीं था। इसी कारण उसने अपने कानों में बड़े बड़े घंटे धारण किठहà¥à¤ थे। जिस कारण उनका नाम घंटाकरण पड़ गया।
घंटाकरण की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से à¤à¤—वान अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ दरà¥à¤¶à¤¨ दिठतथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वर मांगने को कहा। घंटाकरण अपने राकà¥à¤·à¤¸à¥€ जीवन से खà¥à¤¶ नहीं था वरदान सà¥à¤µà¤°à¥‚प घंटाकरण ने अपनी मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ रखी। वरदान सà¥à¤¨ कर à¤à¤—वान शिव ने कहा कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ अगर कोई मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दे सकता है तो वो हैं à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥à¥¤ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनकी शरण में जाना होगा। यह सà¥à¤¨ कर घंटाकरण उदास हो गया कà¥à¤¯à¤¾à¤‚ेकि वो à¤à¤—वान शिव के अलावा और किसी की उपासना नहीं कर सकता था। उसकी परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ समठकर à¤à¤—वान शिव ने à¤à¤• उपाय सà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ और दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾ जाने को कहा। जहां à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ कृषà¥à¤£ के रूप में अवतरित होकर रह रहे थे।
शिवजी की आदेश के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• जब घंटाकरण दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾ पहà¥à¤‚चा तो वहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता चला कि शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ कैलाष गठहà¥à¤ हैं। जहां वे पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हेतॠà¤à¤—वान षिव की तपसà¥à¤¯à¤¾ कर रहें हैं। यह सà¥à¤¨ कर घंटाकरण à¤à¥€ कैलाश की ओर चल पड़ा। घंटाकरण जब बदà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ आशà¥à¤°à¤® पहंचा तो उसने शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को समाधि में लीन देखा। वो वहीं बैठकर ज़ोर ज़ोर से नारायण नारायण का जाप करने लगा। जिस कारण शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ टूटा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ घंटाकरण से वहां आने का कारण पूछा। घंटाकरण ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सारा वृतानà¥à¤¤ कह सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ और उनसे मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। कृषà¥à¤£ उनकी à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से अति पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ उसके बाद शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने नारायण के रूप में अवतरित होकर घंटाकरण को राकà¥à¤·à¤¸ योनि से मà¥à¤•à¥à¤¤ किया और साथ ही घंटाकरण को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤² नियà¥à¤•à¥à¤¤ किया। तà¤à¥€ से घंटाकरण को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤ªà¤¾à¤² à¤à¥€ माना जाता है। इसीलिठबदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के पट खà¥à¤²à¤¨à¥‡ से पूरà¥à¤µ घंटाकरण की पूजा करने की परंपरा है। साथ ही उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के गांव गांव में घड़ियाल देवता सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ देवता के रूप में à¤à¥€ विराजमान हैं। à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि घंटाकरण यहां के लोगों की रकà¥à¤·à¤¾ करते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बीमारियों से बचाते है। समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤µà¤¾à¤² में सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ किया जाता है कि घड़ियाल देवता à¤à¤• महान शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ होने के साथ ही à¤à¤¾à¤µà¥à¤• à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° देवता à¤à¥€ है। गदà¥à¤µà¤µà¤¾à¤² कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के बहà¥à¤¤ से कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में गà¥à¤µà¤¾à¤² देवता की à¤à¤• माह की जात à¤à¥€ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ गांवों में जाती है à¤à¤¸à¥‡ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ का à¤à¤¾à¤° इनके उपर समà¤à¤¾ जाता है और इसीलिठजहां जहां à¤à¥€ घंटाकरण देवता की जाप जाती है वहां के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ इनकी जात में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होते हैं और पूजा à¤à¤‚ेट à¤à¥€ देते हैं। जात में घड़ियाल देवता के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प धà¥à¤µà¤œ गांव गांव में जाया जाता है गीत गाठजाते हैं और घड़ियाल देवता अपने पषà¥à¤µà¤¾ पर खड़े होकर नाचते है।
घंटाकरण का माणा गांव में बहà¥à¤¤ ही पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिर है। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ घड़ियाल देवता मंदिर में जो à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥‚ सचà¥à¤šà¥‡ मन से मनà¥à¤¨à¤¤ मांगता है वह मनà¥à¤¨à¤¤ अवशà¥à¤¯ पूरी होती है। मंदिर का दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठलोग दूर दूर से यहां आते हैं।
Shreya- An Eminent Travel blogger. A zeal for exploring the nooks and new tastes is what keeps this young entrepreneur going!
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